जिन्नात का बादशाह
यह रिसाला (जिन्नात का बादशाह)
शैख़े तरीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा’वते इस्लामी हज़रत अल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इल्यास अत्तार कादिरी र-जवी ने उर्दू ज़बान में तहरीर फ़रमाया है।
मजलिसे तराजिम (दा’वते इस्लामी) ने इस रिसाले को हिंदी रस्मुल खत में तरतीब दे कर पेश किया है और मक-त-बतूल मदीना से शाएअ करवाया है। इस में अगर किसी जगह कमी बेशी पाए तो मजलिसे तजरिम को (ब जरीअए मक्तुब या ई-मेईल) मुत्तलअ फरमा कर सवाब कमाइये।
राबिता : मजलिसे ताजारिम (दा’वते इस्लामी)
मक-त-बतुल मदीना
जिन्नात का बादशाह :
शैतान लाख सुस्ती दिलाए यह रिसाला (२० सफ़हात) अव्वल ता आखिर पढ़ लीजिये आप का इमान ताजा हो जाएगा।
दरूद शरीफ की फजीलत :

नबियों के सुल्तान, रहमते आ-लमियान, सरदार दो जहान, महबूबे रहमान का फरमाने ब-र-कत निशान है : जिस ने मुझ पर रोजे जुमुआ दो सौ बार दरूदे पाक पढ़ा उस के दो सौ साल के गुनाह मुआफ होंगे।
अबू सा’द अब्दुल्लाह बिन अहमद का बयान है : एक बार मेरी लड़की फ़ातिमा घर की छत से यकायक गायब हो गयी। मैं परेशान हो कर सरकार बग़दाद हुजूर सय्यिदुना गौसे पाक की खिदमते बा ब-र-कत में हाज़िर हो कर फरियाद की। आप ने इर्शाद फ़रमाया : कर्ख जा कर वहां के वीराने में रात के वक़्त एक टीले पर अपने इर्द गिर्द हिसार (या’नी दाएरा) बांध कर बैठ जाओ, वहां बिस्मिल्लाह कह लेना और मेरा तसव्वुर बांध लेना।
Jinnat Ke Badshah Ne Rahmat Ki :
रात के अँधेरे में तुम्हारे इर्द गिर्द जिन्नात के लश्कर गुजरेंगे, उन की शक्लें अजीबो गरीब होंगी, उन्हें देख कर डरना नहीं है, स-हरी के वक़्त जिन्नात का बादशाह तुम्हारे पास हाज़िर होगा और तुम से तुम्हारी हाजत दरयाफ़त करेगा। उस से कहना : “मुझे शैख़ अब्दुल कादरी जिलानी ने बग़दाद से भेजा है, तुम मेरी लड़की की तलाश करो।”
चुनांचे कर्ख़ में विराने में जाकर मैंने हुजूर गौसे आजम के बताए हुए तरीके पर अमल किया। रात के सन्नाटे में खौफनाक जिन्नात मेरे हिसार के बाहर गुजरते रहे। जिन्नात की शक्ल इस कदर हैबक नाक थी कि मुझसे देखी नहीं जाती थी। स-हरी के वक्त जिन्नात का बादशाह घोड़े पर सवार था, उसके इर्द-गिर्द भी जिन्नात का हुजूम था।
Gaus E Azam jinnat ka badshah :
हिसार के बाहर ही उसने मेरी हाजत दरफ्यात कि मैंने बताया कि मुझे हुजूरे आजम ने तुम्हारे पास भेजा है इतना सुनना था कि एकदम वह घोड़े से उतर आया और जमीन पर बैठ गया। दूसरे सारे दिन भी दायरे के बाहर बैठ गए। मैंने अपनी लड़की की गुमशुदगी का वाकया सुनाया तो उसने तमाम जिन्नात में ऐलान किया कि लड़की को कौन ले गया है। चंद लम्हों में जिन्नात ने एक चीनी जिन्न को पकड़कर बतौर मुजरिम हाजिर कर दिया। जिन्नात के बादशाह ने उससे पूछा कुछ भी वक्त हजरत ए गौसे आजम के शहर से तुमने लड़की क्यों उठाई।
वह कांपते हुए बोला अलीजाह! मैं देखते ही उस पर आशिक हो गया था बादशाह ने उस चीनी जिनको गर्दन उड़ाने को हुकुम सादिर किया और मेरी प्यारी बेटी मेरे सुपुर्द कर दी मैंने जिन्नात के बादशाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा आप सय्यीदुना गौसे आजम के बेहद चाहने वाले हैं।
JINNAT KA AMAL KARNE KA SAHI TARIKA
इस पर वह बोला बेशक जब हुजूरे गोसे आजम हमारी तरफ नजर फरमाते हैं तो दिन जिन्नात थरथर कांपने लगते हैं। जब अल्लाह तबा रक व तआला किसी कुत्बे वक्त का तअय्युन फरमाता है तो जिन्न वह इस उसके ताबेअ कर दिए जाते हैं।
जिन्नातों के बादशाह का नाम क्या है :
“थरथर आते हैं सभी जिन्नात तेरे नाम से
है तेरा वह दबदबा या गौसे आजम दस्तगीर”
जिन्नात के बादशाह को बुलाने का अमल :
हजरत ए सय्यीदुना शेख अबुल हसन अली खब्बाज को जब गुमशुदा लड़की वाला वाकया बताया गया तो उन्होंने फरमाया कि मुझे हजरत शैख़अबुल कासिम ने बताया कि मैंने सैयदना शेख मोहिउद्दीन अब्दुल कादिर जिलानी को फरमाते सुना है :
नमाजे गौसिय्या का तरीका :
जिसने किसी मुसीबत में मुझ से फरियाद कि वह मुसीबत जाती रहेगी जिसने किसी शक्ति में मेरा नाम पुकारा वह शक्ति दूर होती गई जो मेरे वसीले से अल्लाह की बारगाह में अपनी हाजत पेश करें। वह हाजत पूरी होगी। जो शख्स दो रक्त नफल पढ़े और हर रक्त में अल्हम्दु शरीफ के बाद शरीफ 11, 11 बार पढ़े। सलाम फेरने के बाद सरकारे मदीना पर दरूद ओ सलाम भेजें, फिर बगदाद शरीफ की तरफ 11 कदम चलकर, मेरा नाम पुकारे और अपनी हाजत बयान करें वह हाजत पूरी होगी।
“आप जैसा पीर होते क्या गरज दर-दर फिर हूं
आपसे सब कुछ मिला था गौसे आजम दस्त गीर”