Aaseb Aur Amal
आसेब होते क्या हैं?
यह एक फ़ारसी का शब्द है, जो उर्दू में भी इस्तेमाल होता है, और अरबी में इसे मस कहते हैं। आसेब किसी इंसान का शैतान की जानिब से छू लेना या उसके बदन में दाखिल हो जाना। इसे आसेब कहते हैं। जिस शक्श को आसेब हो जाये उसे ममसुस भी कहते हैं अरबी भाषा में। आसेब जदा वो शक्श है जिस इंसान को जीन्न या शैतान छू लिया हो। उस के जिस्म में दाखिल हो गया हो। उसकी हरकत पर कुछ तबदीली आ जाये या शैतान या जिन्न अपनी जुबान उस इंसान के मुँह से बोलने लगे। इसे ही आसेब जदा बोलते हैं। (आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
आसेब को भगाने का अमल :
जिस पर आसेब का असर हो तो उसे चाहिए कि इस लक्ष्य को लिखकर फलिता बनाकर कोरा कागज लेकर सरसों का असली तेल डालकर इस फलिते को बिना रुई या कपड़ा लपेटे तेल में भिगोकर जलाएं। यह चिराग रोगी की चारपाई किस तरह ने इस तरह रखे की चिराग की ऊंचाई रोगी के सर के बराबर रहे।(आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
रोगी औरत हो या मर्द हर जरूरत से निपट कर ले हटेगा और सुबह तक लेट आ रहे। जो रोगी के सराहनीय फलिता जलाएगा वह चिराग की रोशनी पर भी नजर रखेगा कि हरे रंग की है क्या सुर्ख रंग की क्या रोटी किस रंग की है वह फलिते को जरूर के समय तिनके से ऊपर सरका ता रहे चराग में तेल भरकर रखें।
Aaseb Ka Amal :
यदि वह बुझ जाए तो उसे तुरंत जला दें और ध्यान रहे कि कितनी बार भुजा और जब फलिता जलकर बुझ जाए तो चिराग को किसी ऊंची जगह पर रख दे और फिर अगले दिन इसी तरह इस नेक्स्ट को जलाए इसी तरह 3 दिन लगातार करें और ऐसा भी किया जा सकता है कि 1 दिन छोड़कर जलाएं इस फलिते को उस समय जब घर में सब आदमी सो गए हो और फलिता रोशन करते समय गाड़ी का समय देख लेना भी बड़ा जरूरी है।(आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
जिस समय पहले दिन जलाया है दूसरे दिन भी ठीक उसी समय पर चलाएं जब नक्श का फलिता बनाने लगे, इस और स्याही का निशान लगा दे इस नक्श को मंगल के दिन मिशतरी या जोरा की घड़ी में लिखें और जब दिन खत्म होकर बुध की रात आए तो उसमें शुरू करें और यह भी ख्याल रखना जरूरी है कि पहले दिन चिराग कितनी देर रोशन रहा और दूसरे व तीसरे दिन कितनी कितनी देर रोशन रहा रोगी को फलिता रोशन होते समय चित्र लेटा रहना चाहिए और बड़ी सख्त मजबूरी में करवट भी बदल सकता है यह अमल बड़ा ही काम का है आजमाया हुआ है।(आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
फ़िरोन, कारुन, हामान, शाद्दात और नमरूद शैतान लानत हो इन पर और इनके नक़्शे कदम पर चलने वालों पर अगर छोड़कर न भागे तो जल कर भसम हो जाये।
आसेब भागने का अमल :

यदि कोई जिन्न, भूत या आसेब का शिकार हो तो इस फलिते को साफ़ सुथरे कागज़ पर लिखे और उसके पीछे यह इबारत लिखे, हर बाला से फलां बिन फलां को आजाद कर दे, फलां बिन फलां की जगह रोगी और उसकी माँ का नाम लिखे। इस आयत को कागज पर नीली श्याही से उतार लें और चिराग लेकर कड़वा तेल डालकर उस समय जलाए. (आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
जब सब सो जाएँ और आना जाना बिलकुल बंद हो जाये। रोगी का रुख क़िब्ले के और हो। जलाते समय फूल और इत्र कोरी रकाबी में रख लो। सुबह को रोगी के उठने से पहले इन सब चीजों को कुँए में दाल दें। इंशाल्लाह दस ग्यारह दिन के अंदर अंदर बिलकुल आराम हो जायेगा।(आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
आसेब के लिए आयत :
आकस्मत अलयकुम या दरदाईल।
अकिस्मत अलयकुम या रफतमाइयल।
आकिस्त अलयकुम या मीकाईल।
आकिस्मत अलयकुम या इजराइल।
आसेब का पता करने का तरीका :

जो आदमी इस नक्श की ज़कात अदा करना चाहे उसे चाहिए कि 1001 नक्श लिख कर दरिया में डालें और इस तरीके से लिखे कि अनार की लकड़ी का एक कलम बनाएं और रोजाना मिस्तरी की घड़ी में 25 नक्श लिखकर अलग-अलग हर एक को आटे की गोली बनाकर दरिया में डालें। सूरज निकलने से लेकर सूरज के डूबने से पहले डालकर आए। 8 दिन की इकट्ठी या 40 वें दिन भी डाल सकता है अंतिम दिन अर्थात 40 में दिन 25 की बजाय 26 नक्श लिखेगा ताकि 1001 की संख्या पूरी हो जाए।
जकात पूरी होने पर किसी मिठाई आदि पर यह सामर्थ्य फातिहा दिला कर बच्चों में बांटे इसके बाद जब जरूरत हो इस नक्श को लिखकर आसेब के रोगी को दें, वह अपने सामने रखकर जिस खाने में सियाही का बड़ा बिंदु है उसे देखता रहे, जिस आसेब का उस पर असर है नक्श के मुवक्किल रोगी के सामने उसको लाकर हाजिर करेंगे कि रोगी समय देख लेगा कि कौन सा आसेब है (आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
Aaseb Ko Bhagane Ka Amal :
Aaseb ko bhagane ka amal me Yadi koi jinn bhoot ya aaseb ka shikar ho to is falite ko saaf suthre kagaj par likhe aur uske piche yah ibarat likhe : har bala se falan bin falan ko aajad kar, falan bin falan ki jagah rogi aur uski maa ka naam likh den. Is aayat ko kagaj par nili shyahi se utaar le aur chirag lekar kadwa tel daalkar us samay jalaye. (आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
Jab Sab So Jaye tab aur ana jana bilkul band ho jaye tab rogi ka rukh kilba ki taraf ho. jalate samay ful aur itra kori rakabi me rakh le. subah rogi ke uthne se pahle in sab chijo ko kuye me daal de. inshallah 10 se 11 din ke bhitar bilkul aaram ho jaayega. (आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal).
आसेब का कुरानी इलाज :
सब तारीफे अल्लाह के लिए हैं जो तमाम आलम का रब है। वर्तमान समय में जहां अनगिनत अन्य समस्याएं जन्म ले रही हैं, यह आसेब भी पूरी शक्तियों के साथ सामने आ रहे है और इसके उपचार के लिए लोग अलग अलग तरीके खोजते रहते हैं। आसेब के मरीजों का उपचार जादू के तरीकों से किया जाता है, जिनमे से कई लोग तो सिर्फ वहम के कारण ये मान लेते हैं कि उनपर आसेब या जीन्न जिन्नात का साया है।
इन लोगों की जानकारी की कमी, अज्ञानता और ईमान की कमजोरी के कारण कुछ लोग नकली आमिलों के जाल में फंस जाते हैं। जो न केवल उनके पैसे बर्बाद करते हैं बल्कि उनके धर्म और ईमान को भी बर्बाद करते हैं।
Aaseb Ka Ilaj :
कुरानी इलाज लंबे समय तक पुराना और प्रसिद्ध रहा, इस बात के लिए अन्यों के लिए अलग है, कुछ ज्ञानी लोग ही इसे जानते थे, जिससे लोग कानों के पीछे, जादूगरों, तांत्रिकों और ज्योतिषियों के पास रहते थे। बाजार गर्म हो गया तो खुदा ने देखा कि इस काम (कुरानी इलाज) के लिए कुछ सच्चे चिकित्सकों को अपना अनुग्रह दिया, जिन्होंने यह इलाज फिर से जीवंत किया और सामान्य लोगों के बीच फैलाया। कुरानी चिकित्सक अपने उपचार और दुआ के लिए कोई अवार्ड नहीं चाहते हैं, बल्कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ अल्लाह तजुरीद मिलना चाहिए, जो दुनिया और आखिरत में हैं।
“जन्ना लैला और जन अलैह, जना व जुनूना और जन्नाहू”
Strong Amal To Protect Yourself From Aaseb And Jinnat
Do you feel like there’s something spooky lurking around you? Are you worried that you might have the influence of a jinn or a ghost? Fear not! Here’s a powerful Amal that can protect you from the mischiefs of Aaseb and Jinnat.
- Firstly, write the magical words “Inma s-n-oo kayedu sahireen vaala hiluskaao-hiru heesu anaa. maa huaa saana huaa maa aabrahu maa aahain aashara haayan” on the neck of the person who’s under the spell of the Aaseb.(आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal)
- Then, read the Chahal Kaf Sharif 11 times in both ears of the affected person. To add an extra layer of protection, don’t forget to say Bismillah before you begin.
- Repeat this Amal seven times, and watch the magic unfold. The power of these words combined with your intention and faith can protect the affected person from the clutches of Aaseb and Jinnat.(आप पढ़ रहे हैं : Aaseb aur Amal)
- Remember, this Amal is not a substitute for seeking professional help if needed. But, it can be a powerful addition to your spiritual practice to protect yourself and your loved ones from the unseen forces of the world.
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